मोहम्मद आकिब खांन, आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन स्थित पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान (ITHM Agra) में आयोजित एक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। इस संगोष्ठी में भारत और विदेश के कई विद्वानों ने भाग लिया और वैश्विक स्तर पर उभर रहे मुद्दों पर अपने विचार रखे। संगोष्ठी में हावर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नरेंद्र रूस्तगी ने अंतरराष्ट्रीय युद्धों के प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। वहीं, प्रोफेसर आनंदी पी साहू ने विश्व की अर्थव्यवस्था पर अपने विचार रखे। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज अग्रवाल ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशू रानी ने कहा कि इस तरह के संगोष्ठी से 2047 तक भारत को विकसित बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में मदद मिलेगी। संगोष्ठी में अवैध घुसपैठ, भारतीय संस्कृति, और जलवायु परिवर्तन जैसे अहम मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों और शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय व हावर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका तथा इन्टरनेशनल अकादमी ऑफ़ बिजनेस, अमेरिका के संयुक्त तत्वाधान व उत्तर प्रदेश पर्यटन के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश के तमाम विद्वानों ने विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रूप से चिंतन मनन और चर्चा किया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे युद्धों के प्रभाव पर हुई विस्तृत चर्चा

संगोष्ठी के उद्घाटन में  सेंटर फार ग्लोबल बिजनेस स्टडीज, हावर्ड यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर प्रोफेसर नरेंद्र रूस्तगी व ऑकलैंड विश्वविद्यालय अमेरिका के प्रोफेसर आनंदी पी साहू व डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशू रानी ने विश्व के सामने ज्वलंत मुद्दों को उद्घाटन सत्र में रखा। प्रोफेसर रूस्तगी  ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे युद्धों के प्रभाव के बारे में विस्तृत चर्चा किया। प्रोफेसर साहू ने विश्व की आर्थिक व्यवस्था पर अपने विचार व्यक्त किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज अग्रवाल ने वैश्विक अर्थव्यवस्था व भारत की भूमिका पर विस्तृत रूप से चर्चा की। प्रो0 आशू रानी  कुलपति ने कहा कि शोध व शिक्षा के माध्यम से 2047 तक भारत को विकसित बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार किया जायेगा।

अवैध घुसपैठ और विकास पर इसके प्रभाव विषय पर गंभीर चिंतन

उद्घाटन सत्र में ही महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अवैध घुसपैठ और विकास पर इसके प्रभाव विषय पर गंभीर चिंतन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासी किसी भी देश के विकास में तो बाधक होते ही है साथ ही उसे देश के संस्कृति को भी नष्ट कर देते हैं। इसी कड़ी में नाइजीरिया, यूरोप व अमेरिका सहित कई देशों के विद्वानों ने अपने-अपने देश की चिताओं को इस संगोष्ठी के माध्यम से वैश्विक पटेल पर रखा।

भारतीय संस्कृति और इसकी व्यापकता पर रखे विचार

संगोष्ठी के दूसरे दिन जबलपुर महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रमोद कुमार वर्मा व नव नालंदा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय कुमार कर्ण ने भारतीय संस्कृति व इसकी व्यापकता विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किया। इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया।

इन्होंने शोधपत्र किए प्रस्तुत

इस संगोष्ठी में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रोफेसर प्रशांत कुमार गौतम, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संदीप कुलश्रेष्ठ, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर के नोडल ऑफिसर प्रोफेसर सौरभ दीक्षित तथा आईटीएम नोएडा के नोडल ऑफिसर प्रोफेसर पवन गुप्ता, सिक्किम विश्वविद्यालय गंगटोक के प्रोफेसर डा. अमित सिंह, आसाम के डाउन टाउन विश्वविद्यालय के डा. संतोष कुमार उपाध्याय, भगत फूल सिंह विश्वविद्यालय सोनीपत हरियाणा के प्रोफेसर डॉ. पंकज मिश्रा, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रोफेसर डॉक्टर अरुणेश पाराशर, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के प्रोफेसर सुनिल काबिया, डॉ. संजय निबोरिया, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के डॉक्टर अजय कुमार मिश्रा, एमिटी  यूनिवर्सिटी नोएडा के डॉक्टर पंकज पांडे, नैनीताल उत्तराखंड के रॉयल इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट के  प्रबंध निदेशक डॉ अनुराग भोसले, डॉक्टर महेंद्र डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के डॉ महेंद्र पाल सिंह, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के डॉ. देवेश रन्जन त्रिपाठी, सलीम चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के डॉ. नीरज शुक्ला सहित उत्तर पूर्वी प्रांत सहित कई प्रदेशों के शोधार्थियों व शिक्षकों ने भाग लिया और अपने शोध पत्रों का वाचन किया।

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय को विशेष सम्मान

इस संगोष्ठी में पहली बार सीमित संख्या में स्कूल के विद्यार्थियों को भी अवसर प्रदान किया गया था। स्कूल तथा महाविद्यालयों के स्नातक व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को भी अवसर दिया गया, जिससे उनमें शोध के प्रति रुझान बढे और वह देश हित में शोध के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत मे अपना योगदान दे। इसी कड़ी में आगरा के दुर्विक अग्रवाल ने पानी से हाइड्रोजन बनाने की अपने शोध को भी जनता के विद्वत जनों के सामने रखा। रुद्रा रघुवंशी व दिव्यांश मिश्रा सहित कई अन्य छात्रों ने भी ज्वलंत विषयों पर अपने-अपने विचार संगोष्ठी में रखें। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय को इंटरनेशनल अकैडमी आफ बिजनेस अकैडमी के विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया।

गौरवशाली पुरातन छात्रों को भी किया सम्मानित

डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने अपने गौरवशाली पुरातन छात्रों को भी इस अवसर पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जिनमें प्रसिद्ध उद्योगपति और पूरन डाबर होटल ग्रांड के प्रबंध निदेशक अरुण डंग, कोहिनूर एंपोरियम के प्रबंध निदेशक जीजी माथुर, संस्कृति वेकेशंस के प्रबंध निदेशक तथा आगरा टूरिज्म गिल्ड के अध्यक्ष राजीव सक्सेना व ओसवाल एम्पोरियम के प्रबंध निदेशक आलोक जैन को सम्मानित किया।

इनको भी किया गया सम्मानित

संगोष्ठी में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित होने वाले अन्य विशिष्ट व्यक्तियों में अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज कुमार अग्रवाल, देव संस्कृति  विश्वविद्यालय हरिद्वार के डॉक्टर अरुणेश पाराशर, सोनीपत के डॉक्टर पंकज कुमार मिश्रा आदि प्रमुख है। शोधार्थियों में एमिटी  विश्वविद्यालय नोएडा के डा. नरेंद्र कुमार को विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया। इसी कड़ी में आगरा के प्रसिद्ध वस्तुविद ऋषि बंसल व अर्थ विशेषज्ञ व कंपनी सेक्रेट्री अनुज अशोक को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। आयोजकों ने रुद्रा रघुवंशी, दुर्विक अग्रवाल दिव्यांश मिश्रा वी, सूर्यांश मिश्रा को विशेष प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया।

भारतीय संस्कृति की व्यापकता पर चर्चा

संगोष्ठी के समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रसिद्ध सामाजिक चिंतक व विचारक डॉ. मधुकर चतुर्वेदी जी ने भारतीय संस्कृति की व्यापकता पर विस्तृत रूप से चर्चा किया। डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति में है। चाहे वह पर्यावरण समस्या संबंधी समस्या हो या व्यक्तियों के स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या हो या बिखरते पारिवारिक जीवन की समस्याएं हो सब का समाधान भारतीय संस्कृति में है। गुलामी की एक लंबी दास्ता के कारण भारतीय संस्कृति के तमाम पहलुओं पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है परंतु विचार पूर्वक देखेंगे तो हर चुनौतियों का हल भारतीय संस्कृति में है।

भारत सरकार, उ.प्र. सरकार एवं यूजीसी को भेजी जाएगी रिपोर्ट: प्रो. लवकुश मिश्रा

संगोष्ठी के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने कहा कि यह संगोष्ठी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, हावर्ड विश्वविद्यालय, इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ़ बिजनेस स्टडी तथा उत्तर प्रदेश पर्यटन के संयुक्त प्रयासों से आयोजित की जा सकी। देश-विदेश के जिन विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए गए हैं उनको संक्षिप्त रूप में रिपोर्ट बनाकर के भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजा जाएगा। प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि हावर्ड विश्वविद्यालय का इस विश्वविद्यालय से 2016-17 से लगातार अकादमीक आदान-प्रदान होता चला आ रहा है और आगे भी संयुक्त रूप से शोध की योजना बनाई जा रही है। इस आयोजन मे अमित साहू, कुलदीप यादव, देवेन्द्र यादव, मानव कुमार, शिवेन्दु दीक्षित, सत्यवीर निमेष व कुलदीप दीक्षित एवं अलवीना लाल का विशेष सहयोग रहा।

यह भी पढ़ें:- Painting Exhibition: अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी ‘लोक लकीरें’ में मधुबनी चित्रकला का जादू, 57 विश्वविद्यालयों में हुआ लाइव प्रसारण

By GRAM SABHA TV

Gram Sabha TV is a rural India news platform which provides latest news and content on politics and crime, entertainment, sports, health and wellness, education, history and culture, lifestyle, technology, food and travel, spiritual and religion Etc.