Enemy Property: आपने अक्सर नीलाम होने वाली कई प्रॉपर्टीज में शत्रु संपत्ति (Enemy Property) शब्द सुना होगा। ‘शत्रु’ शब्द सुनकर कई लोग इस तरह की संपत्तियों को लेकर डरने लगते हैं। लेकिन, घबराने की कोई बात नहीं है। शत्रु संपत्ति का मतलब यह नहीं होता कि यह विवादित या अवैध है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर शत्रु संपत्ति क्या होती है और इसकी नीलामी क्यों की जाती है?
- What is Enemy Property?
- Which property is enemy property?
- Who is the owner of enemy property in India?
- What is the custody of enemy property?
शत्रु संपत्ति से मतलब है दुश्मन देश की संपत्ति। भारत-पाकिस्तान बंटवारे और दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के बाद कई लोग भारत से पलायन करके पाकिस्तान चले गए और यहां अपनी प्रॉपर्टी छोड़ गए। सरकार ने ऐसी प्रॉपर्टीज को अपने कब्जे में ले लिया और इन्हें शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया। इसके अलावा, 1962 के युद्ध के बाद चीन में बसने वाले भारतीयों की संपत्ति को भी शत्रु प्रॉपर्टी घोषित कर दिया गया था। केंद्र सरकार इन संपत्तियों को भारतीय रक्षा अधिनियम 1962 के तहत अपने कब्जे में ले लिया है।
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यूपी में सबसे ज्यादा शत्रु सम्पत्तियां
शत्रु संपत्ति अभिरक्षक की वेबसाइट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं, जहाँ इनकी संख्या 6017 है। वहीँ, पश्चिम बंगाल में 4354, दिल्ली में 630, गोवा में 246, महाराष्ट्र में 423, तेलंगाना में 234, गुजरात में 127, मध्य प्रदेश में 147, छत्तीसगढ़ में 78, हरियाणा में 71, उत्तराखंड में 54, बिहार में 94, झारखंड में 10, राजस्थान में 13, केरल में 68, तमिलनाडु में 66, मेघालय में 53, आन्ध्र प्रदेश में 46, असम में 29, कर्नाटक में 38, त्रिपुरा में 495, दमन और दीव में 4 और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 2 शत्रु संपत्तियां मौजूद हैं।
Enemy Property Auction: शत्रु संपत्ति की नीलामी कैसे होती है?
शत्रु संपत्ति की नीलामी या बिक्री, गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार होती है। इस तरह की प्रॉपर्टीज को बेचने से पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या आयुक्त की मदद से बेदखली की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
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Enemy Property List: फर्रुखाबाद में 39 शत्रु संपत्तियां चिन्हित
फर्रुखाबाद में अब तक 39 शत्रु संपत्तियां चिन्हित की जा चुकी हैं, जिनमें से 11 तहसील सदर और 28 तहसील कायमगंज में स्थित हैं। कायमगंज की सभी 28 संपत्तियों से संबंधित न्यायालय में मामले लंबित हैं।
तहसील सदर क्षेत्र के गांव भडौसा में चुन्ना पुत्र वली मोहम्मद के नाम पर 10 संपत्तियां हैं वहीं, उनके भाई नजर मोहम्मद के नाम पर एक संपत्ति है। तहसील कायमगंज में अब्दुल मुकीत खां के नाम पर गांव रुदायन में 15, गांव लोधीपुर में 6, गांव लखनपुर और करीमनगर में एक-एक संपत्ति है। इसके अलावा कायमगंज के ही गांव चिलसरा में सत्तार अली खां के नाम पर 3 शत्रु संपत्तियां हैं। वहीं, गांव चिलौली ग्रामीण में इब्कार अली खां व अब्बास अली खां और कायमगंज के मोहल्ला हलवाइयान में साबिया बेगम व सादिया बेगम के नाम पर एक संपत्ति है।
अब तक तेरह हजार से अधिक शत्रु संपत्तियों की हो चुकी पहचान
भारत सरकार (Government of India) ने देशभर में अब तक तेरह हजार से अधिक शत्रु संपत्तियों (Enemy Properties in India) की पहचान की है। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों (Pakistani Citizens) के नाम है। वहीं अगर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की बात की जाये तो यहाँ लगभग छह हजार शत्रु संपत्तियों की पहचान हो चुकी है। इसके अलावा प्रदेश में ऐसी अनेकों शत्रु संपत्तियां है जिनकी अभी पहचान नही हुई है जहाँ लोग काबिज है। वहीँ कई ऐसी संपत्तियां भी हैं जिनपर भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से विरासत दर्ज करा ली है।
संपत्तियों की बिक्री कर डकार गए रकम
देश के बंटवारे के दौरान जो लोग पाकिस्तान चले गये और उनकी संपत्ति रह गयी ऐसी संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहा जाता है। वर्ष 2017 शत्रु संपत्ति अधिनियम (Enemy Property Act, 1968) के प्रावधानों में संशोधन के बाद संसद की मंजूरी मिलने के बावजूद भी अब तक सैकड़ो संपत्तियों पर प्रशासन की अनदेखी के कारण पाकिस्तान गए लोगों के रिश्तेदार या कुछ भू-माफिया कब्जा किए बैठे हैं। कुछ संपत्तियों की तो बिक्री कर भू-माफिया रकम ही डकार गए हैं।
भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म
वर्ष 2017 में शत्रु संपत्ति अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म हो गया है। ऐसी संपत्तियों को चिन्हित करने व अधिग्रहण करने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने आदेशित किया था। बावजूद इसके ऐसी अनेकों शत्रु संपत्तियां है जो चिन्हित नही है उनपर लोग काबिज है। कई संपत्तियों पर तो भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से विरासत तक दर्ज करा ली है।
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- The Enemy Property Act, 1968 governs the management and disposal of enemy property in India.
- The Enemy Property (Amendment and Validation) Ordinance, 2016, introduced significant changes to the law, including restricting inheritance rights of Indian citizens.
शत्रु संपत्ति क्या है?
जो लोग बंटवारे के दौरान पाकिस्तान जाकर बस गये थे, उनकी जमीन आज भी भारत में है। इस जमीन को शत्रु संपत्ति कहा जाता है। ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार एक कस्टोडियन की नियुक्ति करती है। भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई। केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग (Custodian of Enemy Property for India) का गठन किया है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है।
कब और क्यों बना कानून ?
शत्रु संपत्ति (संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम 1968 में पारित हुआ था। इस अधिनियम के अनुसार जो लोग 1947 के बंटवारे या 1962 में चीन (China) तथा 1965 व 1971 में पाकिस्तान (Pakistan) से हुए युद्ध के बाद चीन या पाकिस्तान चले गये थे और वहां की नागरिकता ले ली थी। उनकी सम्पूर्ण अचल संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित कर दी गयी। इस अधिनियम के प्रावधानों में शत्रु संपत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2016 [The Enemy Property (Amendment and Validation) Bill, 2016] और शत्रु नागरिक की नयी परिभाषा के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म हो गया है। इस संशोधित अध्यादेश को वर्ष 2017 में संसद की मंजूरी मिली थी।
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एटा की सात शत्रु संपत्तियां हो चुकीं नीलाम
भारत के शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय द्वारा एटा में कुल 16 संपत्तियों को नीलामी की श्रेणी में रखा गया। इनमें से सात संपत्तियां बोली के आधार पर नीलाम हो चुकी हैं। दिल्ली में संपन्न हुई प्रक्रिया के बाद अधिकारियों ने एटा की तहसील सदर स्थित उप निबंधक कार्यालय में इन खरीदारों के नाम संपत्तियों के बैनामे भी करा दिए हैं।
आपको बता दें कि एटा में इस समय 24 शत्रु संपत्तियां हैं, जिनमें से 7 संपत्तियां विवादित हैं और 17 अविवादित हैं। इन सभी शत्रु संपत्तियों में से 22 एटा सदर तहसील और 2 जलेसर तहसील क्षेत्र की हैं। अविवादित संपत्तियों की शत्रु संपत्ति अभिरक्षक (CPEI) द्वारा कभी भी नीलामी की सूचना जारी की जा सकती है।
What is Enemy Property?
Enemy property refers to immovable property left behind by people who migrated to Pakistan and China after the partition of India and subsequent wars. The Indian government has vested these properties with the Custodian of Enemy Property for India (CEPI).
Who is the owner of enemy property in India?
The legal ownership of enemy property lies with the Indian government. However, certain individuals may have claims to these properties based on inheritance or other legal rights.
What is the custody of enemy property?
The Custodian of Enemy Property for India (CEPI) is responsible for managing, administering, and disposing of enemy property. CEPI can auction off enemy properties, transfer them to government agencies, or return them to rightful claimants.