लखनऊ: उत्तर प्रदेश अब एक्सप्रेस प्रदेश बन रहा है। यूपी में इस समय 14 एक्सप्रेसवे हैं। इनके अलावा भी यूपी में कई एक्सप्रेसवे आने वाले हैं। आइये यूपी के एक्सप्रेसवे पर डालते हैं एक नज़र…

यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway): दिल्ली को आगरा से जोड़ने वाला 165 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे भारत का छठा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। इसने दिल्ली-आगरा के बीच की यात्रा को लगभग 4 घंटे कम कर दिया। इसे पुराने दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-2) या मथुरा रोड पर भीड़-भाड़ कम करने के लिए बनाया गया था।

बता दें कि इसको दिल्ली एनसीआर और आगरा के बीच यात्रा के समय को कम करने के विचार से इसकी कल्पना ताज एक्सप्रेसवे के रूप में की गई थी। इस परियोजना की कल्पना 2001 में राजनाथ सिंह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई थी। 2003 तक उत्तर प्रदेश राज्य सरकार में बार-बार बदलाव के कारण परियोजना शुरू नहीं हो पाई।

वहीं, जब 2007 के राज्य चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती फिर से सत्ता में आईं तो यह परियोजना फिर से सक्रिय हो गई और 2008 में इसका नाम बदलकर यमुना एक्सप्रेसवे कर दिया गया। इसका निर्माण मई 2012 में पूरा हुआ और यमुना एक्सप्रेसवे का औपचारिक उद्घाटन 9 अगस्त 2012 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ से वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया था।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (Agra-Lucknow Expressway): 302 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे 2017 में चालू हुआ। इसने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को पर्यटन केंद्र आगरा से जोड़कर दोनों शहरों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे 302 किलोमीटर लंबा, 6-लेन चौड़ा एक्सेस-नियंत्रित एक्सप्रेसवे है, जिसका निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) द्वारा किया गया है। एक्सप्रेसवे ने भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में आगरा और लखनऊ शहरों के बीच की दूरी कम कर दी और वर्तमान में यह भारत के सबसे लंबे परिचालन एक्सप्रेसवे में से एक है।

इसका उद्घाटन 21 नवंबर 2016 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। अगले दिसंबर में सरकार की मंजूरी के साथ एक्सप्रेसवे पर हल्की ट्रैफिक हलचल शुरू हुई और फरवरी 2017 के अंत तक एक्सप्रेसवे की पूरी लंबाई आगरा से लखनऊ तक जनता के लिए सुलभ हो गई। इसे व्यापक रूप से उनके ड्रीम प्रोजेक्ट और प्रमुख मॉडल के रूप में देखा जाता है। यह राज्य में सबसे कम समय में पूरा होने वाला अपनी तरह का पहला विकास कार्य है।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (Purvanchal Expressway): 341 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने लखीमपुर खीरी से गाजीपुर तक की यात्रा को लगभग आधा कर दिया है, जिससे कृषि उपज के परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा मिला है। इसका निर्माण कार्य UPEIDA द्वारा 10 अक्टूबर 2018 को शुरू किया गया था और 16 नवंबर 2021 को इसका उद्घाटन कर जनता के लिए खोल दिया गया था।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway): 296 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे लंबे समय से उपेक्षित रहे बुंदेलखंड क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़ने का काम कर रहा है। इसने इस क्षेत्र के पर्यटन, उद्योग और रोजगार के नए द्वार खोले हैं। यह एक्सप्रेसवे चित्रकूट में NH-35 पर गोंडा गांव को और इटावा में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर कुदरैल गांव से जोड़ता है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की आधारशिला पीएम नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट के गोंडा गांव में रखी थी और एक्सप्रेसवे का उद्घाटन 16 जुलाई 2022 को किया गया।

इस तरह जुड़ेंगे ये एक्सप्रेसवे

राज्य सरकार लगातार नए एक्सप्रेसवे बनाने का काम कर रही है। चित्रकूट (Chitrakoot) से शुरू होने वाला बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे आगरा एक्सप्रेसवे के निकट इटावा (Etawah) से जुड़ चुका है जबकि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे व आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे को आपस में जोड़ने के लिए 60 किलोमीटर का एक नया लिंक एक्सप्रेसवे लखनऊ (Lucknow) में बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

वहीं, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे व यमुना एक्सप्रेसवे पहले से जुड़े हैं। लखनऊ में बनने वाले नए लिंक एक्सप्रेसवे से लखनऊ में लगने वाले ट्रकों के जाम से निजात मिलेगी और गाजीपुर से नोएडा तक तीन एक्सप्रेसवे के जरिए आसानी से कम वक्त में सफर हो सकेगा। इसके अलावा गंगा एक्सप्रेसवे को आगरा एक्सप्रेसवे से जोड़ा जा रहा है।

इनके बनने से उत्तर प्रदेश का एक्सप्रेसवे नेटवर्क और मजबूत होगा और राज्य के हर कोने तक विकास पहुंचेगा। साथ ही यहां बनने वाले औद्योगिक गलियारों से कारोबार व आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।