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Mahakumbh 2025: आत्म-साक्षात्कार की तलाश में लाखों श्रद्धालु

Mahakumbh 2025: हर बारह वर्षों में आयोजित होने वाला महाकुंभ सिर्फ एक मेला नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक यात्रा का एक अद्भुत संगम है। हिंदू धर्म की प्राचीन मान्यताओं से जुड़ा यह महाकुंभ, आत्म-साक्षात्कार की तलाश में लाखों श्रद्धालुओं को एक साथ लाता है। भारत के चार पवित्र नगरों – हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में आयोजित होने वाला यह महाकुंभ, ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर होता है। खगोलीय घटनाओं और धार्मिक मान्यताओं का अद्भुत संगम, इस मेले को और भी खास बनाता है। संतों, साधुओं और विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों का एक साथ आना, मानवीय एकता का प्रतीक है। यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद समृद्ध है।

पवित्र समागम महाकुंभ मेला हर बारह साल में आयोजित होता है, यह सिर्फ़ एक विशाल समागम से कहीं ज़्यादा है – यह प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित एक गहन आध्यात्मिक यात्रा है। यह पवित्र उत्‍सव दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक आस्था का आयोजन है, जो आत्म-साक्षात्कार, शुद्धि और ज्ञान की शाश्वत खोज का प्रतीक है। यहां लाखों तपस्वी, संत, साधु और विभिन्न पृष्ठभूमियों से आने वाले तीर्थयात्री भक्ति में एकजुट होते हैं, जो मानवीय आध्यात्मिकता के सार को दर्शाता है।

12 वर्षों में चार बार मनाया जाने वाला यह कुंभ मेला भारत के चार पवित्र स्थलों – गंगा के तट पर हरिद्वार, शिप्रा के किनारे उज्जैन, गोदावरी के किनारे नासिक और गंगा, यमुना तथा पौराणिक सरस्वती के संगम पर प्रयागराज में आयोजित होता है। इसका प्रत्येक आयोजन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह की विशिष्ट ज्योतिषीय स्थितियों के साथ संरेखित होता है, जो हिंदू धर्म में सबसे पवित्र समय माना जाता है। खगोल विज्ञान, आध्यात्मिकता, अनुष्ठानों और सांस्कृतिक परंपराओं को मिलाकर यह कुंभ मेला आस्था और ज्ञान का एक कालातीत साक्षी है।

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