भारत सरकार (Government of India) ने देशभर में अब तक नौ हजार से अधिक शत्रु संपत्तियों (Enemy Properties in India) की पहचान की है। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों (Pakistani Citizens) के नाम है। वहीं अगर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की बात की जाये तो यहाँ लगभग साढ़े चार हजार शत्रु संपत्तियों की पहचान हो चुकी है। इसके अलावा प्रदेश में ऐसी अनेकों शत्रु संपत्तियां है जिनकी अभी पहचान नही हुई है जहाँ लोग काबिज है। वहीँ कई ऐसी संपत्तियां भी हैं जिनपर भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से विरासत दर्ज करा ली है।
संपत्तियों की बिक्री कर डकार गए रकम
देश के बंटवारे के दौरान जो लोग पाकिस्तान चले गये और उनकी संपत्ति रह गयी ऐसी संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहा जाता है। वर्ष 2017 शत्रु संपत्ति अधिनियम (Enemy Property Act, 1968) के प्रावधानों में संशोधन के बाद संसद की मंजूरी मिलने के बावजूद भी अब तक सैकड़ो संपत्तियों पर प्रशासन की अनदेखी के कारण पाकिस्तान गए लोगों के रिश्तेदार या कुछ भू-माफिया कब्जा किए बैठे हैं। कुछ संपत्तियों की तो बिक्री कर भू-माफिया रकम ही डकार गए हैं।
भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म
वर्ष 2017 में शत्रु संपत्ति अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म हो गया है। ऐसी संपत्तियों को चिन्हित करने व अधिग्रहण करने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने आदेशित किया था। बावजूद इसके ऐसी अनेकों शत्रु संपत्तियां है जो चिन्हित नही है उनपर लोग काबिज है। कई संपत्तियों पर तो भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से विरासत तक दर्ज करा ली है।
क्या है शत्रु संपत्ति ?
जो लोग बंटवारे के दौरान पाकिस्तान जाकर बस गये थे, उनकी जमीन आज भी भारत में है। इस जमीन को शत्रु संपत्ति कहा जाता है। ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार एक कस्टोडियन की नियुक्ति करती है। भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई। केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग (Custodian of Enemy Property for India) का गठन किया है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है।
कब और क्यों बना कानून ?
शत्रु संपत्ति (संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम 1968 में पारित हुआ था। इस अधिनियम के अनुसार जो लोग 1947 के बंटवारे या 1962 में चीन (China) तथा 1965 व 1971 में पाकिस्तान (Pakistan) से हुए युद्ध के बाद चीन या पाकिस्तान चले गये थे और वहां की नागरिकता ले ली थी। उनकी सम्पूर्ण अचल संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित कर दी गयी। इस अधिनियम के प्रावधानों में शत्रु संपत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2016 [The Enemy Property (Amendment and Validation) Bill, 2016] और शत्रु नागरिक की नयी परिभाषा के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म हो गया है। इस संशोधित अध्यादेश को वर्ष 2017 में संसद की मंजूरी मिली थी।
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